मैसूर पाक: पाकिस्तान से संघर्ष के कारण मैसूर पाक का नाम भी बदला गया!
मैसूर पाक सिर्फ मिठाई नहीं है। मैसूर की आन बान और शान वाली मिठाई है मैसूर पाक।
मैसूर में पहली बार तैयार की जाने वाली बेहद लोकप्रिय मिठाई ‘मैसूर पाक’ का नाम अब बदलकर ‘मैसूर श्री’ कर दिया गया है। एक बेकरी की तस्वीर वायरल हो गई है, जिसमें “मैसूर पाक” के स्थान पर “मैसूर श्री” लिखा हुआ बोर्ड लगा दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष शुरू होने के बाद भारतीय मिठाइयों पर “पाक” नाम भी नहीं होना चाहिए।

हालांकि इसका विरोध मैसूर से नहीं बल्कि दूसरे स्टेट से विरोध आ रहा है।
भारत- पाकिस्तान तनाव के बीच, राजस्थान के जयपुर में दुकानों ने विभिन्न मिठाइयों के नाम बदल दिए हैं, जिनमें प्रसिद्ध ‘मैसूर पाक’ भी शामिल है। एक बेकरी ने अपनी सभी मिठाइयों के नाम से ‘पाक’ शब्द हटाकर उसकी जगह ‘श्री’ लिख दिया है। इस प्रकार, यहाँ मैसूर पाक का नाम बदलकर मैसूर श्री हो गया है। दुकानदार ने बताया, “हमने अपनी मिठाइयों के नाम से ‘पाक’ शब्द हटा दिया है। हमने ‘मोती पाक’ का नाम बदलकर ‘मोती श्री’, ‘गोंड पाक’ का नाम बदलकर ‘गोंड श्री’ और ‘मैसूर पाक’ का नाम बदलकर ‘मैसूर श्री’ कर दिया है।”
मैसूर का नाश्ता मैसूर पाक का कन्नड़ में अर्थ मैसूर मिठाई या चीनी की चाशनी होता है। यहां पाक का मतलब मीठा है। हालाँकि, बेकरी ने पाकिस्तान का कोई भी नाम इसमें शामिल नहीं करने का निर्णय लिया है। यह कदम पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच उठाया गया है। और इसी तरह हैदराबाद की कराची बेकरी के मामले में भी सामने आया।
चाहे नाम जो भी हो ये भारत के लोगो का देश को लेकर स्वाभिमान है। मिठाई वही रहेगी लेकिन नाम भारतीय होगा।
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मैसूर पाक कैसे अविष्कार हुआ? मैसूर के महाराजा, कृष्ण राजा वाडियार चतुर्थ, भोजन प्रेमी थे और मैसूर में अंबा विलास पैलेस में एक बड़ी रसोई रखते थे।अवधि मिठाई उत्पत्ति का स्थान भारत आविष्कार किया गया 1935 मुख्य सामग्री घी या तेल, चीनी, चना आटा मीडिया: मैसूर पाक मिठाई बनाने के लिए मशहूर मुख्य रसोइया काकासुर मदप्पा ने राजा को कुछ अनोखा पेश करने के लिए प्रयोग करना शुरू किया। बेसन, घी और चीनी मिलाकर उसने एक नरम पाका (या मिश्रण) बनाया। मदप्पा को बुलाया गया और उसका नाम पूछा गया। उसने सबसे पहले जो बात दिमाग में आई उसका नाम ‘मैसूर पाक’ रखा। महाराजा को मिठाई इतनी पसंद आई कि उन्होंने मदप्पा से महल के परिसर के बाहर एक मिठाई की दुकान खोलने को कहा।
वहां से लेकर आजतक मैसूरपाक कर्नाटक की शान है। और हमें गर्व है हमारी मिठाई देश का हर कोने में मिलती है और इसे देश भर में लोग हर त्यौहार और शादियों में बनाया जाता है और खाया जाता है।