अमेरिका को चकमा देने वाला भारतीय: सोहम पारेख की अनोखी कहानी |
अमेरिका, जिसे दुनिया का ‘टफेस्ट’ देश कहा जाता है, उसकी टेक इंडस्ट्री में हलचल मचाने वाला एक भारतीय नाम इस समय हर तरफ वायरल है — सोहम पारेख।
मुंबई से ताल्लुक रखने वाला यह युवक सिर्फ एक नहीं, बल्कि 12 से भी ज्यादा अमेरिकी टेक स्टार्टअप्स में एक ही समय पर नौकरी करता रहा। और वह भी वर्क फ्रॉम होम की आड़ में, बिना किसी को भनक लगे!
शिक्षा से शुरुआत
सोहम पारेख ने 2020 में मुंबई यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में 9.83 GPA के साथ ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के जॉर्जिया टेक इंस्टिट्यूट से मास्टर्स डिग्री हासिल की और वहीं नौकरी भी पा ली।
शुरुआत आम थी, लेकिन इसके बाद सोहम ने जो किया, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं।
एक ही रिज्यूमे, कई नौकरियाँ
सोहम ने एक स्मार्ट तरीका अपनाया — एक ही शानदार रिज्यूमे को कई टेक स्टार्टअप्स में भेजा और इंटरव्यू में अपने टेक्निकल स्किल्स से सभी को प्रभावित किया। नतीजा? कई कंपनियों ने बिना पर्याप्त बैकग्राउंड चेक के उसे हायर कर लिया।
सोहम ने Moonlighting (एक साथ कई जगह काम करना) को एक नया स्तर दे दिया — दिन में तीन-चार कंपनियों में एक साथ शिफ्ट में काम, और हर जगह लाखों की सैलरी!
पोल कैसे खुली?
2 जुलाई 2025 को Suhel Doshi, जो कि Playground AI के फाउंडर हैं, ने एक ट्वीट किया जिसने तूफान खड़ा कर दिया। उन्होंने बताया कि सोहम ने उनकी कंपनी के साथ-साथ कई अन्य YC स्टार्टअप्स को भी धोखा दिया।
जैसे-जैसे ट्वीट्स बढ़े, Antimetal, Lindy, Union AI जैसी कंपनियों के फाउंडर्स ने भी खुलासा किया कि उन्होंने भी सोहम को हायर किया था और बाद में उसे निकालना पड़ा क्योंकि वह झूठ बोलकर नौकरी कर रहा था।
“Coding ही मेरी ज़िंदगी है” — सोहम का दावा
सोहम के मुताबिक, उन्हें कोडिंग के अलावा कुछ भी पसंद नहीं — न डांस, न ड्रिंक, न पार्टी। उनका पूरा फोकस सिर्फ टेक्नोलॉजी पर था। यही कारण था कि इंटरव्यू में उनके शानदार परफॉर्मेंस ने सभी को प्रभावित किया।
क्या यह धोखा था?
कई लोगों का कहना है कि एक ही समय में कई कंपनियों में काम करना एक तरह का धोखा है, खासकर तब जब कर्मचारियों की प्रतिबद्धता और प्रोडक्टिविटी पर असर पड़ता है। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि सोहम जैसा टैलेंटेड इंजीनियर जब मुसीबत में था, तब उसने वही किया जो वह कर सकता था।
वायरल हो रहा है “#SohamGate”
इस पूरे मामले को इंटरनेट पर #SohamGate नाम दिया गया है। मीम्स, ट्रोल्स, और वीडियोज़ की भरमार हो गई है।
यह घटना मूनलाइटिंग पर नई बहस खड़ी कर रही है। क्या यह कर्मचारियों का अधिकार है, या फिर यह कंपनियों के साथ धोखा है?
अब नई शुरुआत: Darwin कंपनी में नया सफर
सोहम पारेख ने हाल ही में माना कि उन्होंने मूनलाइटिंग की थी और वह इस पर गर्व नहीं करते। उन्होंने अब अमेरिका की Darwin नामक कंपनी में नई शुरुआत की है। कंपनी के CEO Sanjeet Juneja का कहना है कि उन्हें सोहम की प्रतिभा पर पूरा भरोसा है।
निष्कर्ष: मूनलाइटिंग – नैतिक या व्यावसायिक चुनौती?
सोहम की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आज के डिजिटल युग में वर्क फ्रॉम होम और मल्टीटास्किंग ने कॉर्पोरेट संरचना को कितना बदल दिया है।
आपकी राय?
क्या सोहम ने गलत किया?
या फिर ये आज की रियलिटी है?
क्या कंपनियों को अपनी हायरिंग पॉलिसी बदलनी चाहिए?
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